।हिन्दू धर्म में तुलसी को इसके अनगिनत औषधीय गुणों के कारण पूज्य माना गया है। यही कारण है कि हिन्दू धर्म में तुलसी से जुड़ी अनेक धार्मिक मान्यताएं है। हिन्दू धर्म में तुलसी को घर में लगाना अनिवार्य माना गया है। तुलसी केवल हमारी आस्था का प्रतीक भर नहीं है। इस पौधे में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में भी तुलसी को महत्वपूर्ण माना गया है।तुलसी के कुछ पत्ते रोजाना खाने से बहुत सी बीमारियों का इलाज अपने आप हो जाता है।
सुबह पानी के साथ तुलसी की 5 पत्तियां निगलने से कई प्रकार की बीमारियां व संक्रामक रोग नहीं होंगे।
- तुलसी की जड़ का काढ़ा ज्वर (बुखार) नाशक होता है।
अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद साबित होती हैं।
- रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।
तुलसी को थकान मिटाने वाली एक औषधि मानते है, इनके अनुसार अत्यधिक थकान होने पर तुलसी के पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है।
औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है जिससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है।
कमर में दर्द हो रहा हो तो एक चम्मच तुलसी का रस लें।
- तुलसी का रस 10 ग्राम चावल के मांड के साथ सात दिन पीएं। प्रदर रोग ठीक होगा। लेकिन इस दौरान दूध और भात ही खाएं।
तुलसी,अदरक और मुलैठी को घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के बुखार में आराम होता है।
- दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है।