आंवले का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं से लेकर हर्बल प्रोडक्ट तक में होता है। किसी भी प्रकार के रोग में आंवला काफी लाभदायक होता है। भगवान विष्णु के प्रिय इस फल को अमृत फल की भी संज्ञा दी गई है। बवासीर से लेकर खोई हुई मर्दाना ताकत में यह फल खासतौर से लाभदायक है। इसी प्रकार पेट के रोगों से लेकर आंख और बालों के लिए भी आंवला किसी रामबाण से कम नहीं है।
आंवला ना केवल कब्जकारक, मूत्रल, रक्त शोधक, पाचक, रूचिवर्धक तथा अतिसार, प्रमेह, दाह, पीलिया, अम्ल पित्त, रक्त विकार, रक्त स्त्राव, बवासीर में उपयोगी है बल्कि अजीर्ण, बदहजमी, श्वास, खांसी, वीर्य क्षीणता में भी लाभदायक है
आंवला पितनाश्क होने के कारण पित-प्रधान रोगों की प्रधान औषधि है। यह फल मधुरता और शीतलता के कारण पित को शान्त करता है। आंवला तीनों दोषों (वात,पित,काफ) को संतुलित करता है।
आंवला पाचक, अरुचि नाशक वमन में लाभकारी है। यह नाड़ी तंत्र व इन्द्रियों को ताकत देने वाला पौष्टिक रसायन है। यह रक्तवाहिनियों के विकारों को नष्ट करने में सक्षम है।
आंवला ना केवल कब्जकारक, मूत्रल, रक्त शोधक, पाचक, रूचिवर्धक तथा अतिसार, प्रमेह, दाह, पीलिया, अम्ल पित्त, रक्त विकार, रक्त स्त्राव, बवासीर में उपयोगी है बल्कि अजीर्ण, बदहजमी, श्वास, खांसी, वीर्य क्षीणता में भी लाभदायक है
आंवला पितनाश्क होने के कारण पित-प्रधान रोगों की प्रधान औषधि है। यह फल मधुरता और शीतलता के कारण पित को शान्त करता है। आंवला तीनों दोषों (वात,पित,काफ) को संतुलित करता है।
आंवला पाचक, अरुचि नाशक वमन में लाभकारी है। यह नाड़ी तंत्र व इन्द्रियों को ताकत देने वाला पौष्टिक रसायन है। यह रक्तवाहिनियों के विकारों को नष्ट करने में सक्षम है।
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