मध्यप्रदेश के सुदूर वनवासी अंचलों में बसे आदिवासी आज भी प्राकृतिक जडी-बूटियों की मदद से तमाम रोगों का इलाज करते है। जहाँ एक ओर इन आदिवासियों के पास सामान्य रोगों के उपचार के लिए आस-पास प्रकृति में पाए जाने वाले पौधे है वहीं कई जडी-बूटियों का इस्तेमाल अनके प्रकार के भयावह रोगों के इलाज के लिए भी इन आदिवासियों द्वारा किया जाता है।
मध्यप्रदेश की पातालकोट घाटी और आस-पास के इलाकों में भुमका (स्थानीय पारंपरिक वैद्य) हर्बल जडी-बूटियों के जानकार हैं और सैकडों सालों से इस परंपरागत ज्ञान को पीढी दर पीढी अपनाए हुए है। पिछ्ले डेढ दशक से ज्यादा समय से इन आदिवासियों की परंपरागत चिकित्सा पद्धति को संकलित करने के बाद और अपने अनुभवों के आधार पर दावे के साथ कह सकता हूँ कि इस ज्ञान में दम है.
आदिवासियों के अनुसार प्याज हाई ब्लड प्रेशर के लिए एक कारगर उपाय है, प्रतिदिन कच्चे प्याज का सेवन हितकर होता है। आधुनिक शोधों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्याज में प्याज में क्वेरसेटिन रसायन पाया जाता है जो कि एक एंटीओक्सिडेंट फ़्लेवेनोल है जो कि हृदय रोगों के नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
लेंडी पीपर के फल (2ग्राम) और अश्वगंधा की जडों का चूर्ण (3 ग्राम) दिन में एक बार प्रात: गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से रक्तचाप नियंत्रित होता है, साधारणत: आदिवासी हर्बल जानकार निम्न रक्तचाप के रोगियों को इस फार्मुले के सेवन की सलाह देते है।
आदिवासी हर्बल जानकार जटामांसी की जडों का काढा तैयार कर निम्न रक्तचाप (लो- ब्लड प्रेशर) से ग्रस्त रोगियों को देने की सलाह देते हैं। इनके अनुसार प्रतिदिन दिन में 2 बार इस काढे का 3 मिली सेवन किया जाए, यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
-हींग का सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह कई बीमारियों की दुश्मन है। वैद्यों का मानना है कि हींग को हमेशा भूनकर उपयोग में लाना चाहिए।हींग का सेवन भी उच्च रक्तचाप के रोगियों के उत्तम माना जाता है, आदिवासियों के अनुसार यह खून को गाढा करने में मददगार होता है ।
उच्च रक्त चाप से ग्रस्त लोगों को आदिवासी हर्बल जानकार कटहल की सब्जी, पके कटहल के फल और कटहल की पत्तियों का रस पीने की सलाह देते हैं।पत्थरचूर की जडों का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर लेने से उच्च रक्तचाप में फायदा होता है, हर्बल जानकारों के अनुसार इस फार्मुले का सेवन लगातार 2 माह तक करने से तेजी से फायदा होता है।
सर्पगंधा की जडों का चूर्ण (2 ग्राम) प्रतिदिन दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ मिलाकर सेवन करने से एक माह के भीतर उच्च रक्त चाप के रोगियों को असर दिखने लगता है।
कमल के फूलों को गर्म पानी में डुबो दिया जाए और मसल लिया जाए, स्वादानुसार शक्कर मिलाकर उच्च रक्तचाप के रोगियों को प्रतिदिन सुबह दिया जाए तो आराम मिलता है।
तुलसी का रस एक या दो चम्मच पानी में मिलाकर खाली पेट सेवन करें। इसके एक घंटे बाद तक कुछ भी न खाएं या 21 तुलसी के पत्ते तथा सिलबट्टे पर पीसकर एक गिलास दही में मिलाकर सेवन करने से हाई ब्लडप्रेशर में लाभ होता है।
लहसुन को हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए अमृत के समान माना जाता है।लहसुनअदरक और लहसुन की कच्ची कलियाँ (2) प्रतिदिन सवेरे खाली पेट चबाने से रक्तचाप नियंत्रण होता है।माना जाता है कि लहसुन की चार कुली को चबा कर लेने से हार्ट अटैक जैसी बड़ी बीमारी को भी रोका जा सकता है।
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